অধ্যায় ১৮ পদ্য ৪৪
The Gita – Chapter 18 – Shloka 44
Shloka 44
The Vaisyas and the Sudras are known to provide the services of farming, rearing cattle, and agricultural trade for society.
खेती, गोपालन और क्रय-विक्रय रूप सत्य व्यवहार —– ये वैश्य के स्वाभाविक कर्म हैं । तथा सब वर्णों की सेवा करना शूद्र का भी स्वाभाविक कर्म है ।। ४४ ।।
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