অধ্যায় ১৮ পদ্য ৫০
The Gita – Chapter 18 – Shloka 50
Shloka 50
Hear now, Arjuna, as I reveal to you how one reaches the highest and most perfect stage of renunciation known as the BRAHMAN.
जो कि ज्ञान योग की परानिष्ठा है, उस नैष्कमर्य सिद्भि को जिस प्रकार से प्राप्त होकर मनुष्य ब्रह्म को प्राप्त होता है, उस प्रकार को हे कुन्ती पुत्र ! तू संक्षेप में ही मुझसे समझ ।। ५० ।।
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